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PM-AASHA Yojana: किसानों की आय और कृषि सुरक्षा का एक प्रमुख कदम, 35,000 करोड़ रुपए की मंजूरी

PM-AASHA Yojana:

किसानों की आय और कृषि सुरक्षा का एक प्रमुख कदम

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर करती है। हालांकि, कई वर्षों से किसान कम आय और अस्थिर बाजार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में “पीएम-आशा योजना” (प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य दिलाने, उनकी आय में वृद्धि करने और कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने का है।

PM-AASHA Yojana योजना का उद्देश्य

PM-AASHA Yojana का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य प्रदान करना है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। यह योजना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से किसानों को उनके फसलों का सही मूल्य दिलाने का प्रयास करती है। इसके साथ ही, इस योजना का एक अन्य लक्ष्य किसानों को बाजार की अनिश्चितताओं से बचाना है ताकि वे अपने उत्पादन को बिना किसी जोखिम के बेच सकें।

PM-AASHA Yojana योजना के तीन प्रमुख घटक

PM-AASHA Yojana के अंतर्गत तीन प्रमुख घटक शामिल हैं, जो किसानों को विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते हैं:

1. कमी भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme – PDPS):
इस घटक के तहत उन किसानों को लाभ मिलता है, जिनकी फसल का बाज़ार मूल्य MSP से कम होता है। इस योजना के माध्यम से सरकार किसानों को MSP और बाजार मूल्य के अंतर की भरपाई करती है, जिससे उन्हें नुकसान नहीं होता।

2. फसल खरीद योजना (Price Support Scheme – PSS):
इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किसानों से सीधे फसलों की खरीद करती हैं। यह योजना विशेष रूप से उन फसलों के लिए है जिनकी कीमत बाजार में गिर जाती है। इसके जरिए किसानों को उनकी फसल के लिए गारंटीड खरीद और उचित मूल्य मिलता है।

3. प्राइवेट प्रोक्योरमेंट और स्टॉकिस्ट स्कीम (Private Procurement and Stockist Scheme – PPSS):
इस घटक के अंतर्गत सरकार निजी कंपनियों और व्यापारियों को फसलों की खरीद के लिए प्रोत्साहित करती है। यह योजना विशेष रूप से तिलहन फसलों के लिए है, और इसके तहत निजी एजेंसियों द्वारा फसल की खरीद MSP पर की जाती है।

PM-AASHA Yojana योजना के लाभ

1. किसानों की आय में वृद्धि:
PM-AASHA Yojana के तहत किसानों को उनके उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिया जाता है। इससे किसानों की आय में स्थिरता आती है और उन्हें बाजार की अस्थिरता से निपटने में मदद मिलती है।

2. कृषि में जोखिम कम करना:
कृषि के क्षेत्र में हमेशा बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है। इस योजना के तहत सरकार यह सुनिश्चित करती है कि किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य मिले, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान न हो।

3. कृषि उपज का समर्थन:
इस योजना के जरिए किसानों को प्रोत्साहन मिलता है कि वे अपनी उपज को बढ़ाएं और बेहतर गुणवत्ता की फसल उगाएं। यह योजना उनकी मेहनत को सही मूल्य देकर उन्हें और उत्पादन के लिए प्रेरित करती है।

4. कृषि बाजार में स्थिरता:
इस योजना के माध्यम से बाजार में स्थिरता बनी रहती है, क्योंकि किसानों को अपने उत्पादों के लिए गारंटी मूल्य मिलता है। इससे बाजार में फसलों की अधिक आपूर्ति और मांग के बीच सामंजस्य बना रहता है।

5. किसान उत्पादकता में वृद्धि:
किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने से वे अधिक उत्साहित होते हैं, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है। इससे कृषि क्षेत्र में नवाचार और नई तकनीकों का भी प्रसार होता है।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि PM-AASHA Yojana किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, फिर भी इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ हैं:

1. उचित जागरूकता की कमी:
कई किसानों को अभी भी इस योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार को गांव-स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।

2. कमीशन एजेंटों की भूमिका:
कई बार कमीशन एजेंट किसानों से फसल खरीदते समय MSP का सही मूल्य नहीं देते। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार को कड़ी निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

3. भंडारण सुविधाओं की कमी:
कई क्षेत्रों में उचित भंडारण सुविधाओं की कमी होने से किसानों को अपनी उपज कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके समाधान के लिए सरकार को अधिक भंडारण केंद्रों का निर्माण करना चाहिए।

निष्कर्ष

पीएम-आशा योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो उन्हें बाजार की अस्थिरता से बचाने और उनकी आय को स्थिर करने में मदद करती है। इस योजना से किसानों को न केवल उनकी फसलों का सही मूल्य मिलता है, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बनते हैं। यह योजना भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसके सफल क्रियान्वयन से किसानों की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।

 

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